वैरिकोज वेन्स एक गंभीर बीमारी है जो की शरीर के ज्यादातर निचले हिस्से को प्रभावित करती है, इस बीमारी के होने पर नसों का आकर बढ़ जाता है और टाँगें मोटी और टेढ़ी हो जाती है!
वैरिकोज वेन्स क्या है ?
हमारे शरीर में एक वॉल्व होता है जिसका काम हमारे शरीर क किसी एक हिस्से से खून को दिल तक पहुंचता है और जब वो वॉल्व खराब होता है तो अपना काम करना बंद कर देता है और खून को दिल तक पहुंचने की बजाये नसों में ही जमा कर देता है. खून जमा होने क कारन टांगो में सूजन आ जाती है और इस ही मुड़ी हुई नसों को वैरिकोज वेन्स कहते है| अगर आप वैरिकोज वेन्स का इलाज़ एक मात्र दिन में करवाना चाहते हो तो हमारे हॉस्पिटल के खास वैरिकोज वेन्स विशेषज्ञ से सम्पर्क करें|
वैरिकोज वेन्स के कारण और कारक
वैरिकाज़ नसों की समस्या नीचे लिखे हुए कारणों से शुरू होती है|
1. आयु: आयु इसका सब से पहला कारन है , जैसे जैसे व्यक्ति की आयु बढ़ती है , शरीर में खून को नियंत्रण करने वाली वॉल्व खराब होने लगता है , जिसके कारन खून वही जमा होने लगता है और ये समस्या होनी शुरू हो जाती है|
2. गर्भावस्था:गर्भावस्था में खून का उत्पादन बढ़ता है किन्तु आपके पैर की तरफ खून का परिवहन घटता है और गर्भवस्था में होने वाला हार्मोनल परिवर्तन भी एक कारण हो सकता है|
3. पारिवारिक इतिहास: अगर रोगी के परिवार में किसी को ये रोग पहले से चलती आ रही है तो इस स्थिति में वरिक्से वीन क उत्पन होने की सम्बावना अधिक हो जाती है|
4. मोटापा : मोटापा भी एक मूल्य कारन हो सकता है, अधिक मोटापा होने पर शरीर में अधिक दबाव पड़ता है जिसके कारण ये समस्या उत्पन होती है |
वैरिकोज वेन्स का इलाज़
लेज़र सर्जरी वैरिकोज वेन्स का पक्का इलाज़ है | किन्तु फिर भी निमन तरीको से भी वैरिकोज वेन्स का इलाज़ किया जा सकता है |
1. स्क्लेरोथेरेपी: इस तरीके में नमक क पानी को घोल या फिर एक रासायनिक घोल को नसों में इंजेक्ट किया जाता है जिससे क नसें ठीक हो जाती है|
2. फ्लीबेक्टॉमी: खराब नस क पास एक छोटा सा कट लगाया जाता है जिससे क उस नस को निकाल दिया जाता है ,इस प्रोसेस को फ्लीबेक्टॉमी कहते है|
3. लेज़र/ रेडियो फ्रीक्वेंसी: इसमें लेज़र की सहायता से नसों को ठीक किया जाता है |
4. कंप्रेशन मोजा: सूजन को काम करने क लिए कंप्रेशन मोजा पहना जाता है और ये मोज़े पैरों को धीर दे दबाते है , जिससे क खून दिल तक पहुंचता है|
5. ज्यादा देर तक खड़े नहीं रहना चाहिए , बीच बीच में पैर को हिलाते रहना चाहिए ता क खून का प्रभाव चलता रहे
6 . अगर शरीर का वजन ज्यादा है तो वजन को काम करना चाहिए |
7. दिन में व्यायाम ज्यादा से ज्यादा करना चाइये इससे नसों की एक्सरसाइज होती रहती है|