अंडकोश का महत्त्व, छोटे होने का कारण, लक्षण, मापने के यन्त्र

जैसे शरीर का आकार अलग अलग होता है वैसे ही अंडकोश का सामान्य आकार भी अलग अलग हो सकता है युरोपियन लोगो में अंडकोष का आकार सामान्य आकार से बड़ा होता है जबकि एशियाई लोगो में अंडकोष का आकार सामान्य आकार से थोड़ा छोटा होता है

 

डॉक्टर अंडकोश को कैसे मापते है

डॉक्टर अंडकोश को मिलीलीटर या आयतन से मापते है सामान्य अंडकोश का आकार 18 ml से 25 ml तक होता है। जब बच्चा पैदा होता है तो अंडकोश का आकार 1 ml होता है और धीरे धीरे करके करीब 4 – 5 ml तक बढ़ता है।
यौवनारम्भ (puberty) के समय यानि 10 से 11 वर्ष की आयु में अंडकोश का आकार अचानक से बढ़ना चालू होता है। और धीरे धीरे ढाढी मूंछ आना चालू होते है और यौवनारम्भ (puberty) के बाद यानि 11 वर्ष की आयु के बाद 14-15 वर्ष की आयु में अंडकोश 14-15 ml का हो जाता है और वयस्कता (adulthood) पहुँचते-पहुँचते अंडकोश का आकार 18 से 20 ml का हो सकता है।

अंडकोश को कैसे मापते है अंडकोश मापने के यन्त्र

अंडकोश को घर पर नहीं माप सकते। डॉक्टर अंडकोश को सोनोग्राफ़ी (sonography) के सहायता से मापते है सोनोग्राफ़ी (sonography) द्वारा अंडकोश की लम्बाई – चौड़ाई मापकर फिर एक फॉर्मूले के सहायता से अंडकोश का आकार पता लगाया जाता है
या दूसरे प्रकार अंडकोश को एक orchidometer द्वारा मापा जाता है इसमें अंडाकार मोती की माला सी होती है जिसमे 1 ml से लेकर 25 ml तक आकार के मोती होते है।
अगर आप घर पर कच्चे तौर पर अंडकोश को मापना चाहते है तो आपको उसकी लम्बाई मापनी चाहिए। यदि की लम्बाई तीन से सादे चार सेंटीमीटर तक है तो आपके अंडकोष का आकर सामान्य है

अंडकोश आकार का शरीर में महत्त्व :

अंडकोश आकार हमारे शरीर में इसलिए महत्वपूर्ण है क्युकी यह हमारे शरीर में स्पर्म, शुक्राणु बनाने और टेस्टोस्टेरोन हार्मोन (testosterone hormone) बनाने पर नियंत्रण करता है
शुक्राणु बच्चे पैदा करने के लिए बहुत जरूरी है यह शुक्राणु अंडकोष की छोटी छोटी ट्यूबों (Seminiferous tubules) में बनते है। फिर ट्यूब के द्वारा पेशाब के रस्ते निकल जाते है।
ऐसी प्रकार यदि आप अंडकोष को थोड़ा बड़ा करके देखेंगे तो अंडकोष में कोशिकाएं होती है ऐसे लेडिग कोशिकाएं (leydig cells) कहते है यह कोशिकाएं टेस्टोस्टेरोन हार्मोन (testosterone hormone) बनाती है।
यह टेस्टोस्टेरोन हार्मोन (testosterone hormone) हमारी मर्दानगी का हार्मोन होता है इससे आपकी कामेच्छा (libido) बढ़ती है इसलिए अंडकोश का आकार हमारे शरीर के लिए महत्वपूर्ण है।

अंडकोष छोटा बड़ा होने से क्या होता है? क्या अंडकोष छोटा होने से हमारे शरीर पर इसका कुछ प्रभाव पड़ता है ?
जैसे की हमने पहले चर्चा में बताया की हर इंसान में अंडकोष की आकार अलग अलग हो सकता है।
लेकिन अंडकोष की आकार सामान्य से अचानक से या धीरे धीरे कम हुआ है या अचानक से या धीरे धीरे बढ़ गया है तो ऐसे तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए

अंडकोष के आकार छोटे कम होना (testicular) के लक्षण

  • अंडकोष मुलायम या छोटे होते है
  • यौनेच्छा (Sex ड्राइव ) कम हो जाती है
  • अगर दोनों अंडकोष छोटे होते है तो हार्मोन बनने कम हो जाते है
  • मांसपेशियों कमजोर हो आती है
  • शुक्राणुओं का बनना कम हो सकता है जो बाद में नपुंसकता का कारण बन सकते है
  • ढाढी- मूंछ आनी कम हो सकती है

 

अंडकोष के आकार के छोटे कम होने के कारण

  • 65- 70 वर्ष की आयु में टेस्टोस्टेरोन बनना कम हो जाता है जिससे हॉर्मोन लेवल कम होने से अंडकोष के आकार छोटा हो सकता है
  • कुछ बीमारिया होती है जिसके कारण हॉर्मोन लेवल कम हो जाते है परिणामसवरूप इससे भी अंडकोष के आकार छोटा हो सकता है
  • बहुत ज्यादा मोटे लोगो में कई बार टेस्टोस्टेरोन हार्मोन (testosterone hormone) जो है वह एस्ट्रोजन हार्मोन (Estrogen hormone) में बदलना शुरू हो जाता है ऐसी अवस्थता में अंडकोष कई बार छोटा होने लगता है
  • ऐसे देखा गया है जो लोग बहुुत ज्यादा नशीले पर्दाथ का सेवन करते है उनमे भी अंडकोष के आकार छोटा हो सकता है
  • गुप्तवृषणता (undescended testicles) यह रोग आमतौर पर बच्चो में पाया जाता है इसमें अंडकोष पेट से निचे नहीं आ पाता। पेट में ही रह जाता है। तो ऐसा अंडकोष जो निचे नहीं आ पाटा पेट में रह जाता है उसे गुप्तवृषणता (undescended testicles) कहते है और यह अंडकोष पूर्ण रूप से बड़ा नहीं हो पाता
  • (torsion testis ) कई बार वयस्कों में दोनों अंडकोष सही होते है परन्तु अंडकोष में अचानक से दर्द होता है जिसमे वह अपनी जगह से घूम जाता है। और जब यह धीरे धीरे ठीक होता है इसकी खून की सप्लाई कम हो जाती है और यह अंडकोष धीरे धीरे सिकुड़ जाता है
  • (varicocele) कई बार अंडकोष की नसों में गुछे बन जाते है यह गुछे काफी समय तक बने रहते है और यह भी अंडकोष छोटे होने का कारण बन सकते है
  • Mumps Mumps एक बीमारी इन्फेक्शन की वजह से होती है जो ज्यादातर बचपन में होती है जिसमे गले ने निचे या जबड़ो के निचे सूजन आ जाती है ठीक होने के बाद कई बार अंडकोष छोटे हो जाते है

किस आयु में अंडकोष का आकार बढ़ना रुक जाता है

18 -19 वर्ष की आयु के बाद अंडकोष का आकार काफी हद तक सीमित हो जाता है और अंडकोष का आकार बढ़ना रुक जाता है