प्रोस्टेट के गंभीर रूप से विस्तृत हो जाने के कारण जब मूत्राशय में से मूत्र प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है, तब उस स्थिति में ट्रांसयूरेथ्रल रिसेक्शन ऑफ प्रोस्टेट (TURP) सर्जरी की जाती है।
प्रोस्टेट सर्जरी लक्षण , प्रोस्टेट सर्जरी की जरूरत कब पड़ती है
- रोगी का पेशाब बिलकुल रुक जाता है उसमे कैथिटर (catheter) पड़ जाता है
- रोगी क्लो बार बार यूरिन इन्फेक्शन (Urine Infection) होता है
- पेशाब की थैली में स्टोन बन जाना तब प्रोस्टेट सर्जरी की जरूरत पड़ती है
- पेशाब रुकने की वजह से किडनी में सूजन आने की वजह से बार बार पेशाब में खून आने से प्रोस्टेट सर्जरी की जरूरत पड़ती है
- प्रोस्टेट की दवाईया रोगी नहीं लेना चाहता या रोगी को प्रोस्टेट की दवाईया से सरीर पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है तो प्रोस्टेट सर्जरी की जरूरत पड़ती है
सर्जरी की प्रक्रिया का निर्णय केवल उसके आकार पर निर्भर नहीं करता। यह मुख्यत रोगी के लक्षणों पर निर्भर करता है। उसकी बाकि बीमारियों को देखकर निर्णय लिया जाता है।
कुछ मामलों में सोनोग्राफ़ी में बड़े बड़े प्रोस्टेट मिलते है 90 gm, 100 gm, 120 gm, तब तब दवाईयों से ही इलाज किया जाता है क्युकि उनका मूत्र प्रवाह अच्छा होता है।
जबकि कुछ मामलो में 25 gm – 40 gm प्रोस्टेट के लिए सर्जरी करते है जिनमे बहुत ज्यादा तकलीफ होती है।
तो निष्कर्ष यह निकलता है की प्रोस्टेट सर्जरी केवल आकर पर निर्भर नहीं करती
इसके इलावा कुछ ऐसे रोगी समूह भी है जिनमे डॉक्टर सर्जरी बहुत सोच समज कर करते है उदारहरण के लिए विशेष रूप से ऐसे रोगी जिन्हे प्रोस्टेट के इलावा और भी न्यूरोलॉजिकल बीमारिया है जैसे पार्किंसंस रोग (Parkinson’s disease), स्टॉक हो चूका है, लकवा मार चूका है। उसमे डॉक्टर सर्जरी बहुत सोच समज कर करते है
प्रोस्टेट की समस्या जयादातर 50 वर्ष से अधिक आयु वाले लोगो को होती है और यही वो आयु वर्ग है जिसमे लोगो को बाकी बीमारिया भी होती है जैसे ब्लड प्रेशर, डॉयबटीज, मधुमेह रोग, हृदय रोग इत्यादि।
तो जब भी डॉक्टर इस आयु वर्ग के रोगियों को अच्छे से देखते है की रोगी सर्जरी के योग्य
है या नहीं।
प्रोस्टेट सर्जरी की प्रक्रिया :
प्रोस्टेट सर्जरी दो प्रकार से की जा सकती है जो की निम्नलिखित प्रकार है
१ ओपन सर्जरी विधि : इसमें रोगी के पेट में चीरा लगाकर प्रोस्टेट को निकला जाता है यह सर्जरी आजकल बहुत कम प्रयोग में लायी जाती है यह बहुत काम मामलो में की जाती है जैसे की अगर प्रोस्टेट 200 – 250 ग्राम से जयादा हो तो उसे ओपन सर्जरी की विधि द्वारा निकाला जाता है
२ दूरबीन से सर्जरी : इस विधि में दूरबीन की मदद से पेशाब के रास्ते प्रोस्टेट के पास जाते है और प्रोस्टेट को अंदर ही अंदर निकाल देते है। जिससे पेशाब का रास्ता खुल जाता है और रोगी अच्छे से मूत्र कर पाटा है
नार्मल और प्रोस्टेट कैंसर की सर्जरी अलग अलग होती है। प्रोस्टेट कैंसर की सर्जरी में प्रोस्टेट पूरा निकल दिया जाता है
दूरबीन से प्रोस्टेट सर्जरी के प्रकार :
होलीमुईम (Holmium) लेज़र सर्जरी : इस विधि में दूरबीन से पेशाब के रास्ते जाते से जाते है। इसमें भी दो प्रकार की विधिया होती है। पहले विधि जिसमे प्रोस्टेट कोशिकाएं ऊतक (Prostate Tisuee) उसको जला सकते है जिसे हम Periprostatic fat विधि कहते है जिसमे डॉक्टर ग्रीन लाइट लेज़र का इस्तेमाल करते है। यह ऐसे रोगियों में की जाती है जिन्हे हार्ट दिल में प्रॉब्लम होती है
दूसरी विधि को HOLEP विधि कहते है लेज़र की मदद से प्रोस्टेट को अंदर ही अंदर प्रोस्टेट का बड़ा भाग निकला जाता है फिर इसके छोटे छोटे टुकड़े करके प्रोस्टेट को शरीर से बाहर निकाला जाता है
TURP लेज़र सर्जरी : इस विधि में भी दूरबीन से पेशाब के रास्ते से जाते है फिर में इलेक्ट्रिक करंट से प्रोस्टेट को छोटे- छोटे भागो में काटकर बाहर निकालते है और अंदर ही अंदर उसको साफ़ करके इलाज कर देते है। जिससे पेशाब का रास्ता खुल जाता है
दूरबीन से प्रोस्टेट सर्जरी के फायदे :
- दूरबीन से प्रोस्टेट सर्जरी से ब्लीडिंग कम होती है
- २ रोगी जल्दी ठीक हो जाता है
- ३ रोगी एक- दो दिन बाद अचे से पेशाब कर पाता है
प्रोस्टेट सर्जरी के बाद कुछ समस्याएं
प्रोस्टेट सर्जरी करने के बाद कुछ आम समस्याएं हो सकते है जैसे की
- पेशाब में जलन होना
- २ पेशाब के शुरुआत में खून आना
- ३ पेशाब के आखरी में खून आना
- ४ जल्दी जल्दी पेशाब आना
- जल्दी जल्दी में पेशाब छूठ जाना इत्यादि
समस्याएं धीरे धीरे ठीक हो जाती है